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Mati Mati Arkati
'Pankaj', Ashwini Kumar (Autor)
·
Radha Krishna Prakasan Pvt Ltd
· Tapa Blanda
Mati Mati Arkati - 'Pankaj', Ashwini Kumar
Sin Stock
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Reseña del libro "Mati Mati Arkati"
कोंता और कुंती की इस कहानी को कहने के पीछे लेखक का उद्देश्य पूरब और पश्चिम दोनों के गैर-आदिवासी समाजों में मौजूद नस्ली और ब्राह्मणवादी चरित्र को उजागर करना है जिसे विकसित सभ्यताओं की बौद्धिक दार्शनिकता के ज़रिए अनदेखा किया जाता रहा है। कालांतर में मॉरीशस, गयाना, फिजी, सूरीनाम, टुबैगो सहित अन्य कैरीबियन तथा लेटिन अमेरिकी और अफ्रीकी देशों में लगभग डेढ़ सदी पहले ले जाए गए गैर-आदिवासी गिरमिटिया मज़दूरों ने बेशक लम्बे संघर्ष के बाद इन देशों को भोजपुरी बना दिया है और वहाँ के नीति-नियन्ताओं में शामिल हो गए हैं। लेकिन सवाल है कि वे हज़ारों झारखंडी जो सबसे पहले वहाँ पहुँचे थे, कहाँ चले गए? कैसे और कब वे गिरमिटिया कुलियों की नवनिर्मित भोजपुरी दुनिया से गायब हो गए? ऐसा क्यों हुआ कि गिरमिटिया कुली खुद तो आज़ादी पा गए लेकिन उनकी आज़ादी हिल कुलियों को चुपचाप गड़प कर गई। एक कुली की आज़ादी कैसे दूसरे कुली के खात्मे का सबब बनी? क्या थोड़े आर्थिक संसाधन जुटते ही उनमें बहुसंख्यक धार्मिक और नस्ली वर्चस्व का विषधर दोबारा जाग गया और वहाँ उस अनजान धरती पर फिर से ब्राह्मण, क्षत्रिय, भूमिहार और वैश्य पैदा हो गए? सो भी इतनी समझदारी के साथ कि 'शूद्&
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El libro está escrito en Hindi.
La encuadernación de esta edición es Tapa Blanda.
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