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Premvallari
Malik Rajkumar
(Autor)
·
Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.
· Tapa Dura
Premvallari - Rajkumar, Malik
Sin Stock
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Reseña del libro "Premvallari"
''हाँ...कर दिया माफ, माफ न करती तो क्या करती, प्रकृति ने ही मुझे तुम्हारे पास बुला भेजा है। अब मुझे ऑफिस से हफ्ते भर की छुट्टी मिल गई हैं। अपना अरुणाचल मुझे घुमाओगे न।'' दीपेश की पत्नी ने उसे बाँहों में लेकर सहला दिया। फिर पलंग पर सहारा देकर बैठा दिया। ओई बड़े ध्यान से दोनों का मिलन देख रही थी। दीपेश ने उससे कहा...''दे मेरी पत्नी के सारे प्रश्नों का जवाब। मेरी बात सुनने की तो इसने जहमत ही नहीं उठाई।'' दीपेश की पत्नी ने जवाब दे दिया, ''नहीं, मुझे किसी से कोई जवाब नहीं चाहिए। किसी से कोई प्रश्न भी नहीं करना।'' ओई बोल पड़ी, ''मैं सिर्फ प्रेम-वल्लरी हूँ। दीपेश के सहारे फली-फूली हूँ। आप इस तरह समझें कि हमारा संबंध लिवइन रिलेशन जैसा ही था। अब मैं वह भी खत्म करती हूँ। दीपेश आपके थे, आपके हैं, आपके ही रहेंगे। प्रकृति हमसे यही चाहती थी तो मिला दिया, अब उसका हित पूर्ण हुआ तो दीपेश आपके हैं।'' दीपेश की पत्नी ओई को इस तरह बोलता देखकर मंत्र-मुग्ध सी खड़ी रह गई। फिर बोली, 'थैक्स ओई।' -इसी उपन्यास से प्रेम-समर्पण-त्याग के भावात्मक रागों की अभिव्यक्ति है यह औपन्यासिक कृति, जो पाठक के मन को झंकृत कर देगी।
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El libro está escrito en Hindi.
La encuadernación de esta edición es Tapa Dura.
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